नवरात्रि में कन्या भोजन और कुमारी पूजन
सभी पाठकों को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार। जैसा कि आप सभी जानते हैं कुछ ही दिनों में चैत्र नवरात्रि का त्यौहार शुरू होने वाला है इस दौरान माता आदिशक्ति और उनके नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और साथ ही साथ उनके आशीर्वाद से हमारे जीवन में आ रही कठिनाइयां और परेशानियां समाप्त होती है।
इन 9 दिनों में भक्त लोग माता की अलग-अलग प्रकार से पूजा करते हैं कोई पूरे 9 दिन व्रत रखता है तो कोई दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है, कोई नवार्ण मंत्र का जाप करता है, कोई सिर्फ अष्टमी का व्रत करता है तो कोई होम हवन आदि करता है।
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कन्या भोज (इमेज सोर्स : नामदेव मोहूरले) |
इसी प्रकार नवरात्रि में कुमारिका पूजन और कन्या भोज के माध्यम से देवी के नौ स्वरूपों की कन्या के रूप में पूजा की जाती है। इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि देवी के नौ स्वरूप जिनकी कन्या के रूप में पूजा की जाती है वह कौन-कौन से हैं और किस-किस दिन हमें कितनी कन्याओं को भोजन कराना चाहिए इसके भी विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।
आइए जानते हैं कुमारी का पूजन और कन्या भोजन से जुड़ी हुई कुछ प्रमुख बातें और नियम। सबसे पहला नियम यह है कि कुमारी का पूजन में बुलाई जाने वाली कन्याओं की उम्र 2 वर्ष से कम तथा 10 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
दूसरा नियम ऐसा है की पहले दिन एक कन्या का पूजन करना चाहिए दूसरे दिन दो कन्याओं का तीसरे दिन 3 कन्याओं का और इसी प्रकार बढ़ते क्रम में नौवें दिन पूरी नौ कन्याओं का भोजन करना चाहिए। कई जगह पर नौ कन्याओं के साथ एक बालक को भी बुलाया जाता है और उसका पूजन किया जाता है कहते हैं कि बालक को भैरव का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है।
ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से मैं यहां पर एक महत्वपूर्ण बात बताना चाहूंगा कि जिन लोगों की कुंडली में शुक्र ग्रह नीच राशि में हो, पीड़ित हो, अस्त हो अथवा बलहीन हो तो ऐसे लोगों को साल की दोनों नवरात्र में पड़ने वाले शुक्रवार को कन्या भोजन कराकर उन्हें अपने सामर्थ्य अनुसार कोई भी उपहार देकर प्रसन्न करना चाहिए और हमेशा महिलाओं का सम्मान करना चाहिए। यह शुक्र ग्रह को मजबूत करने का एक बहुत ही सरल एवं कारगर उपाय है।
देवी के नौ स्वरूप और उनके नाम उनकी आयु के अनुसार निर्धारित किए गए हैं। तो जानते हैं कि कितने उम्र की कन्या की किस स्वरूप में पूजा करनी चाहिए और किस स्वरूप का पूजन करने से क्या फल मिलता है :-
उम्र नाम फल
2 साल कुमारिका सफलता, दीर्घायुष्य,
शत्रु विजय।
3 साल त्रिमूर्ति धन लाभ, संतान सुख।
4 साल कल्याणी परीक्षा में सफलता,
व्यवसाय का विस्तार।
5 साल रोहिणी बीमारियों से मुक्ति।
6 साल कालिका प्रतियोगिता में सफलता,
मुकदमे में सफलता
(आपका पक्ष सही होने पर)।
7 साल चंडीका अपार सफलता और धन लाभ।
8 साल शाम्भवी। धन अभाव को दूर करना।
9 साल दुर्गा कार्य सिद्धि, अध्यात्म और
शत्रु पीड़ा।
10 साल समुद्रा मनोकामना पूर्ति।
ऊपर दिए गए सारणी के अनुसार आपके जीवन में जो भी समस्या है उसे दूर करने के लिए माता आदिशक्ति के उस स्वरूप की कन्या रूप में पूजा कीजिए और उन्हें माता का साक्षात रूप समझ के अपने सामर्थ्य के अनुसार अच्छे वस्त्र, उपहार और भोजन प्रदान करना चाहिए। निचे देवी माँ के सभी स्वरूपों के मंत्र दिए गए हैं इन मंत्रों द्वारा हर एक रूप में कन्या पूजन करना चाहिए।
कुमारस्य च तत्त्वानि या सृजत्यपि लीलया ।
कादीनपि च देवांस्तां कुमारीं पूजयाम्यहम् ॥॥
कादीनपि च देवांस्तां कुमारीं पूजयाम्यहम् ॥॥
सत्त्वादिभिस्त्रिमूर्तिर्या तैर्हि नानास्वरूपिणी ।
त्रिकालव्यापिनी शक्तिस्त्रिमूर्तिं पूजयाम्यहम् ॥॥
कल्याणकारिणी नित्यं भक्तानां पूजिताऽनिशम् ।
पूजयामि च तां भक्त्या कल्याणीं सर्वकामदाम् ॥॥
रोहयन्ती च बीजानि प्राग्जन्मसञ्चितानि वै ।
या देवी सर्वभूतानां रोहिणीं पूजयाम्यहम् ॥॥
काली कालयते सर्वं ब्रह्माण्डं सचराचरम् ।
कल्पान्तसमये या तां कालिकां पूजयाम्यहम् ॥॥
चण्डिकाम चंडरूपाम च चंड मुंड विनाशिनीम।
तां चण्डपापहरणीं चण्डिकां पूजयाम्यहम् ॥॥
तां चण्डपापहरणीं चण्डिकां पूजयाम्यहम् ॥॥
अकारणात्समुत्पत्तिर्यन्मयैः परिकीर्तिता ।
यस्यास्तां सुखदां देवीं शाम्भवीं पूजयाम्यहम् ॥॥
दुर्गात्त्रायति भक्तं या सदा दुर्गातिनाशिनी ।
दुर्ज्ञेया सर्वदेवानां तां दुर्गां पूजयाम्यहम् ॥॥
सुभद्राणि च भक्तानां कुरुते पूजिता सदा ।
अभद्रनाशिनीं देवीं सुभद्रां पूजयाम्यहम् ॥॥