महाशिवरात्रि | Mahashivratri vrat and Puja vidhi
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महाशिवरात्रि 2025 पूजा मुहूर्त |Mahashivratri 2025 date and time
महाशिवरात्रि निशीथ काल मूहूर्त
2025 महाशिवरात्रि चार प्रहर पूजा मूहूर्त | Mahashivratri 2025 char prahar Puja muhurt
महाशिवरात्रि में व्रत कैसे करें
- व्रत का संकल्प
- शक्ति हो तो दिनभर उपवास रखना
- शिवलिंग का अभिषेक
- मंत्रों का जाप करना
- चारों प्रहर में शिव पूजन
- निशीथ काल में पूजन करना
- महाशिवरात्रि व्रत कथा पढ़ना
महाशिवरात्रि व्रत संकल्प
महाशिवरात्रि के व्रत का महत्व पौराणिक ग्रंथों में ऐसा बताया गया है कि भगवान शिव महाशिवरात्रि के दिन पृथ्वी पर उपस्थित जितनी भी शिवलिंग है उनमें विद्यमान हो जाते हैं। इस तिथि पर जो भी व्यक्ति रात में या रात्रि के चारों पहर में शिवलिंग का मंत्र जाप के साथ पूजन करता है उसके समस्त पापों का नाश हो जाता है।
प्रत्येक प्रहर में विभिन्न सामग्रीयों द्वारा शिवलिंग का पूजन करना चाहिए यदि ऐसा करना संभव ना हो तो रात्रि में एक बार इन मंत्रों द्वारा भगवान शिव की पूजा करें और उन्हें नैवेद्य लगाएँ।
महाशिवरात्रि शिव पूजा मंत्र इस प्रकार हैं:
ॐ अघोराय नमः
यह पांच मंत्र शिव जी के 5 नाम को दर्शाते हैं और इन मंत्रों का जाप करते हुए शिव जी के पांच मुखों का पूजन करना चाहिए। इन 5 मंत्रों के अलावा शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय तथा महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप अवश्य करना चाहिए। इन दोनों में से किसी भी एक मंत्र को बोलते हुए 108 बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पण करने चाहिए। शिव ज के सभी मंत्रों का जाप रुद्राक्ष की माला पर करना उत्तम होता है और साथ ही महाशिवरात्रि का दिन कोई भी रुद्राक्ष धारण करने का बहुत ही अच्छा मुहूर्त होता है।
नीचे दिए गए अर्घ्य मंत्र को पढ़ते हुए भगवान शिव को अर्घ्य प्रदान करें
अर्घ्य मंत्र
गौरीवल्लभ देवेश सरपाढ्य शशिशेखर।
वर्षपापविशुद्धयर्थमर्घ्यो मे गृह्यतां ततः।।
अर्थ: देवी पार्वती के प्रियतम सभी देवताओं के स्वामी और सर्पों की माला से विभूषित भगवान चंद्रशेखर आप साल भर के सभी पापों की शुद्धि के लिए मेरी ओर से अर्घ्य ग्रहण कीजिए।
नोट : ॐ नमः शिवाय का जाप करने से पंचतत्व संतुलित होते हैं। वैसे भी सभी पंचमहाभूत शिवजी के अधीन है।
महामृत्युंजय मंत्र
महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि प्रथम प्रहर पूजा सामग्री और पूजा विधि
- रात्रि के पहले प्रहर में शिवलिंग पर जलधारा अर्पण करनी चाहिए और जलधारा अर्पण करते समय मंत्रों का जाप करना चाहिए।
- इस समय ओम नमः शिवाय का 108 बार भी जाप किया जा सकता है।
- इस प्रहर में विशेष रूप से साबुत सफेद चावल और काले तिल शिवलिंग पर चढ़ाने चाहिए।
- साथ ही सफेद कनेर के फूल चढ़ाना चाहिए तथा नैवेद्य लगाना चाहिए।
महाशिवरात्रि दूसरा प्रहर पूजा सामग्री और पूजा विधि
- दूसरे प्रहर में भी जलधारा से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- उसके पश्चात शिव लिंग पर तिल और जौ समर्पित करें
- भगवान शिव को खीर का भोग लगाएं तथा
- मंत्र जाप करते रहे।
महाशिवरात्रि तीसरा प्रहर पूजा सामग्री और पूजा विधि
- तीसरे प्रहर में ऊपर बताए गए दो प्रहरों की भांति ही पूजा करें।
- इस बार भगवान शिव को गेहूं अर्पण करें।
- सफेद आक के फूल चढ़ाएं।
- पुए और अनार के फल का नैवेद्य लगाएं और आरती करें।
महाशिवरात्रि चौथा प्रहर पूजा सामग्री और पूजा विधि
- चौथे प्रहर में भगवान शिव को उड़द, मूंग और सतनजा चढ़ाएं
- इस प्रहर में बेलपत्र भी चढ़ाना चाहिए
- हो सके तो भगवान शिव को उड़द के बड़े बनाकर नैवेद्य लगाना चाहिए।
- इस प्रहर में केले भी चढ़ाए जा सकते हैं।
महाशिवरात्रि के लाभ | Mahashivratri benefits
- महाशिवरात्रि कर पूजा करने से पिछले 1 साल के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
- महाशिवरात्रि पर शिव तत्व पृथ्वी के हर एक शिवलिंग में मौजूद होता है इसलिए इस दिन पूजा करने से विशेष शिव कृपा प्राप्त होती है।
- रुद्राक्ष पहनने के लिए महाशिवरात्रि का दिन सबसे अच्छा माना गया है।
- महामृत्युंजय मंत्र का महाशिवरात्रि के दिन जाप करने से उसका फल कई गुना ज्यादा हो जाता है।
- शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप महाशिवरात्रि के दिन करने से पंचतत्व संतुलित हो जाते हैं क्योंकि हमारे शरीर भी पंच तत्वों से मिलकर बना है