दत्त स्तव स्तोत्र
प्रिय पाठको आप सबको बहुत-बहुत नमस्कार! आज इस आर्टिकल के माध्यम से मैं एक बहुत ही प्रभावशाली स्तोत्र के बारे में बताना चाह रहा हूं इस स्तोत्र की रचना परम पूज्य श्री वासुदेवानंद सरस्वती, जिन्हें की टेंबे स्वामी के नाम से भी जाना जाता है, द्वारा की गई है।
श्री वासुदेवानंद सरस्वती दत्तात्रेय भगवान के अवतार माने गए हैं। उन्होंने यह बताया है कि यह स्तोत्र नकारात्मक शक्ति की बाधा, रोग, महामारी, ग्रह पीड़ा, दरिद्रता और घोर संकट का शमन करने में सक्षम है। इतना ही नहीं स्तोत्र में ऐसा भी कहा गया है कि स्तोत्र का हर रोज तीनों संध्याओं में पाठ करने से आपके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं यहां तक की यह सभी प्रकार के पातकों को नष्ट करता है।
यदि आपको बुरे सपने आते हैं तो भी रोज स्तोत्र का पाठ करना चाहिए यह स्तोत्र का पाठ किसी भी प्रकार के तंत्र मंत्र बाधा का भी निवारण करता है। इस स्तोत्र का हमेशा पाठ करने से आपको आपके सभी कामों में यश और लाभ प्राप्त होता है तथा इसके पठन से भोग और मोक्ष दोनों की ही प्राप्ति होती है, इसलिए स्तोत्र का पाठ पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ करना चाहिए। |
ज्योतिष की दृष्टि से अगर आपको किसी नीच ग्रह की महादशा शुरू है या फिर साढ़ेसाती, शनि या राहु की महादशा या आठवा गुरु शुरू है या जन्मकुंडली में गुरु नीच का हो या शत्रु राशि में बैठा हो या गुरु की महादशा अशुभ फल दे रही हो तो भी स्तोत्र का पाठ अवश्य ही करना चाहिए।
स्तोत्र
भूतप्रेतपिशाचाद्या यस्य स्मरणमात्रतः।
दूरादेव पलायंते दत्तात्रेयं नामामि तम्।।१।।
यन्नामस्मरणाद्दैन्यं पापं तापश्च नश्यति।
भीतिग्रहार्तिंदुःस्वप्नं दत्तात्रेयं नमामि तम्।।२।।
दद्रुस्फोटक कुष्टादि महामारी विषूचिका।
नश्यंत्यन्येsपि रोगाश्च दत्तात्रेयं नमामि तम्।।३।।
संगजा देशकालेत्था अपि सांक्रमिका गदाः।।
शाम्यंति यत्मरणतो दत्तात्रेयं नामामि तम्।।४।।
सर्पवृश्चिकदष्टानां विषार्तानां शरीरिणाम।।
यन्नाम शान्तिदं शीघ्रं दत्तात्रेयं नमामि तम्।।५।।
त्रिविधोत्पातशमनं विविधारिष्टनाशनम्।
यन्नाम क्रूरभीतिघ्नं दत्तात्रेयं नमामि तम्।।६।।
वैर्यादिकृतमंत्रादिप्रयोगा यस्य कीर्तनात्।।
नश्यंति देवबाधाश्च दत्तात्रेयं नमामि तम्।।७।।
यत्छिष्यस्मरणात्सद्यो गतनष्टादि लभ्यते।।
य ईशः सर्वतस्त्राता दत्तात्रेयं नमामि तम्।।८।।
जयलाभयशःकाम दातुर्दत्तस्ययस्तवम्।
भोगमोक्षप्रदस्येमं पठेद्दत्तप्रियो भवेत्।।९।।
इति श्री प. पु. वासुदेवानंदसरस्वती विरचिंत दत्तस्तवस्त्रोम् संपूर्णम्।