श्री कालभैरवाष्टक स्तोत्र
प्रिय पाठको आप सबको बहुत-बहुत नमस्कार आशा है आप सभी स्वस्थ होंगे आज मैं एक नई श्रंखला शुरू कर रहा हूं जिसमें में बहुत सारे स्तोत्रों के बारे में बताने जा रहा हूं । इस श्रंखला का यह पहला स्तोत्र होगा इस आर्टिकल में मैं काल भैरव अष्टकम के बारे में लिखने जा रहा हूँ। इस स्तोत्र की रचना श्री आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी।
श्री काल भैरव जी को शिव जी का अवतार ही माना गया है जैसा कि उनके नाम से स्पष्ट है भैरव का अर्थ होता है भयानक या भीषण और काल का अर्थ होता है समय अर्थात काल भैरव जी शिव के ऐसे रूद्र अवतार हैं जिनसे की काल भी भयभीत होता है। आज जिस स्तोत्र के बारे में मैं बताने जा रहा हूं वह स्तोत्र हमें हर तरह की अड़चन या परेशानी से बाहर निकालने में सक्षम है फिर चाहे वह परेशानी कैसी भी हो।
अक्सर देखा गया है कि कई बार हम ऐसी परिस्थितियों का सामना करते हैं जिसका कोई भी हल नजर नहीं आता और कई बार हमें नकारात्मकता घेर लेती है ऐसे समय में हमें श्री काल भैरव जी के स्तोत्र का जाप करना चाहिए यह स्तोत्र नकारात्मकता और नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव को खत्म करने में भी बहुत सक्षम है हमें बस इस पर पूरी तरह विश्वास करना चाहिए और श्रद्धा के साथ इसका जाप करना चाहिए।
एक और बात विशेषकर जब शनि की महादशा या शनि की साढ़ेसाती या राहु की महादशा चल रही हो और हमें कष्टों का सामना करना पड़ रहा हो उस समय भी इस स्तोत्र का पाठ हमें रोज करना चाहिए रोज करना संभव ना हो तो हर शनिवार या बुधवार या फिर अष्टमी या कालभैरवाष्टमी ( कालभैरव जयंती ) के दिन इस का पाठ अवश्य करें।
कालभैरवाष्टकम् स्तोत्र
देवराज सेव्यमान पावनांघ्रि पकंजं
व्यालयज्ञ सूत्रमिन्दु शेखरं कृपाकरम् ।
नारदादि योगिवृन्द वन्दितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ १॥
भानुकोटि भास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठ मीप्सितार्थ दायकं त्रिलोचनम् ।
कालकाल मंबुजाक्ष मक्षशूल मक्षरं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ २॥
शूलटंक पाशदण्ड पाणिमादिकारणं
श्यामकाय मादिदेव मक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्र ताण्डव प्रियं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ३॥
भुक्ति मुक्ति दायकं प्रशस्तचारु विग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोक विग्रहम् ।
विनिक्वणन् मनोज्ञ हेम किंकिणी लसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥ ४॥
धर्मसेतु पालकं अधर्म मार्गनाशकं
कर्मपाश मोचकं सुशर्म धायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्ण शेषपाश शोभितांग मण्डलं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ५॥
रत्न पादुका प्रभाभिराम पादयुग्मकं
नित्य मद्वितीय मिष्ट दैवतं निरंजनम् ।
मृत्यु दर्पनाशनं करालदंष्ट्र मोक्षणं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ६॥
अट्टहास भिन्न पद्मजाण्डकोश संततिं
दृष्टिपात्त नष्टपाप जालमुग्र शासनम् ।
अष्टसिद्धि दायकं कपालमालिका धरं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ७॥
भूतसंघ नायकं विशालकीर्ति दायकं
काशिवास लोक पुण्यपाप शोधकं विभुम् ।
नीतिमार्ग कोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ८॥
॥ फल श्रुति ॥
कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं
ज्ञानमुक्ति साधनं विचित्रपुण्य वर्धनम् ।
शोक मोह दैन्यलोभ कोप ताप नाशनं
प्रयान्ति कालभैरवांघ्रि सन्निधिं ध्रुवम् ॥
॥ इति श्रीमत् शंकराचार्यविरचितं
कालभैरवाष्टकम् संपूर्णम् ॥
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कालभैरवाष्टकम् पढ़ने के क्या लाभ हैं | Kalbhairav Ashtakam benefits
1) नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम होता है।
2) आत्मविश्वास बढ़ता है।
3) शिव और शक्ति की कृपा प्राप्त होती है।
4) शनि की साढ़ेसाती और राहु की महादशा दोनों में ही लाभ होता है।
5) घर में कलह और क्लेश कम होता है।
6) पितृदोष कम होता है।
7) कालसर्प पीड़ा कम होती है।
FAQ's for Kalbhairav Ashtakam
Q1. काल भैरव जयंती कब है ?
A. 16 नवंबर 2022
Q2. काल भैरव अष्टमी कब मनाई जाती है ?
A. अमांत कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली अष्टमी को काल भैरव अष्टमी के नाम से जाना जाता है इसे काल भैरव जयंती भी कहते हैं।
Q3. काल भैरव अष्टक का पाठ कितने बजे करना चाहिए ?
A. शाम 7:00 बजे।
Q4. काशी का कोतवाल किसे कहा जाता है ?
A. काल भैरव जी को।
Q5. काल भैरव जी को प्रसाद में क्या चढ़ाना चाहिए?
A. सरसों के तेल में बने हुए उड़द की दाल के बड़े चढ़ाना चाहिए कुछ लोग काल भैरव के मंदिर में शराब भी चढ़ाते हैं।