देवगुरु बृहस्पति मंदिर चौकी || Devguru Brihaspati Mandir Chaukee
एस्ट्रो आर्टिकल के सभी पाठकों को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार बहुत दिनों बाद मैं आपके लिए एक बहुत ही रोचक आर्टिकल लेकर आ रहा हूं आज मैं आपको देवगुरु बृहस्पति मंदिर के बारे में बताने जा रहा हूं जो दुनिया में आपको सिर्फ दो जगह पर ही मिलेगा और इसकी बहुत मान्यता है और इस मंदिर में जाकर दर्शन करने से देवगुरु बृहस्पति का न सिर्फ आशीर्वाद प्राप्त होता है बल्कि गुरु ग्रह से जुड़ी हुई समस्याओं का भी बहुत हद तक निवारण हो जाता है ।
सबसे पहले जानते हैं की बृहस्पति कौन है? हमने अक्सर सुना होगा की देवताओं के गुरु हमेशा किसी भी कठिन परिस्थिति में उनका मार्गदर्शन किया करते हैं । जब देवताओं और असुरों में युद्ध होता है उस समय असुरों के गुरु श्री शुक्राचार्य असुरों की सहायता करते हैं और उन्हें जीवित भी कर देते हैं इस प्रकार जब देवताओं को कोई मार्ग नजर नहीं आता तब वे मार्गदर्शन के लिए अपने गुरु के पास जाते हैं और वही देवताओं के गुरु बृहस्पति कहलाते है इसीलिए उन्हें देवगुरु बृहस्पति के नाम से जाना जाता है और साधारण भाषा में गुरु ग्रह के नाम से जानते हैं।
बृहस्पति मंदिर चौकी |
बृहस्पति का मंदिर कहां पर है ?
आज मैं जिस मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहा हूं यह मंदिर नागपुर शहर से 45 से 50 किलोमीटर दूर है और यह नागपुर से कुछ दूर बसी एक तहसील हिंगना से होते हुए कन्होलिबारा गांव से 10 - 12 किलोमीटर के अंतर पर है। यह नागपुर और वर्धा जिलों के बीच में स्थित है और जिस गांव में यह स्थित है उस गांव का नाम चौकी है। इस गांव का नाम चौकी क्यों पड़ा इसके पीछे भी एक बहुत रोचक कहानी है अंग्रेजों के जमाने में जंगल की रक्षा के लिए यहां पर कुछ आदिवासी परिवारों को स्थापित किया गया था और उन्हें जंगल की रक्षा करने का काम दिया गया था इसलिए इसे चौकी कहा जाता है। चौकी में स्थित देवगुरु बृहस्पति के मंदिर तक पहुंचने के लिए और भी बहुत से रास्ते हैं जैसे यहां पर एक बहुत ही प्रसिद्ध गणपति मंदिर है जो केळझर में स्थित है जिसे विदर्भ का अष्टविनायक भी कहा जाता है और केळझर से 10 किलोमीटर की दूरी पर चौकी का मंदिर स्थित है इसलिए जो लोग केळझर होते हुए चौकी जाना चाहे वह भी आसानी से पहुंच सकते हैं।
पौराणिक महत्व
अब मैं इस मंदिर के महत्व के बारे में बताता हूं इस मंदिर का जिक्र पुराणों में है ऐसा कहा जाता है कि स्कंद पुराण में इस मंदिर के बारे में बताया गया है और यह मंदिर महाभारत कालीन है ऐसा कहा जाता है की महाभारत काल में एक चक्र नगर में बकासुर नाम का राक्षस रहता था जो लोगों को बहुत ही परेशान किया करता था और उस गांव के लोगों को और उनके पशु पक्षियों को खा जाता था जिससे कि गांव वाले बहुत परेशान थे। जिस समय पांडव वहां पर पहुंचे तब भी बकासुर का आतंक वहां पर छाया हुआ था इसलिए गांव वालों ने भीम से मदद की गुहार लगाई लेकिन भीम के लिए भी बकासुर को मारना आसान नहीं था क्योंकि बकासुर को असुर गुरु शुक्राचार्य का संरक्षण प्राप्त था इसलिए भीम ने देवताओं के गुरु बृहस्पति का आह्वान किया और तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर देवताओं के गुरु बृहस्पति ने भीम को दर्शन दिए साथ ही उन्होंने भीम को बकासुर को मारने के लिए आशीर्वाद और ज्ञान भी दिया और ऐसा कहा जाता है कि देवताओं के गुरु वहीं पर स्थापित हो गए और जो मूर्ति इस मंदिर में अभी है वह स्वयंभू मूर्ति है जिसमें साक्षात देवगुरु बृहस्पति विराजमान है। इस तरह के सिर्फ दो ही मंदिर पूरे भारत या पूरे विश्व में है एक मंदिर यहां हिंगना जिले के पास चौकी गांव में है।
चौकी में स्थित यह बृहस्पति मंदिर दुर्गम पहाड़ों के बीच में स्थित है यहां पर प्रकृति का सुंदर दृश्य देखते ही बनता है आसपास का वातावरण और परिसर बहुत ही शुद्ध और स्वच्छ है इस मंदिर के पास ही शनि धाम भी है वहां पर श्री शनि देव की भव्य मूर्ति है तथा नवग्रह से जुड़ी हुई बहुत ही रोचक जानकारी भी मिलती है। गुरुवार के दिन यहां पर बहुत सारे सैलानी देवगुरु बृहस्पति और शनि देव की पूजा और दर्शन के लिए बड़ी संख्या में आते हैं।
शनि शक्ति पीठ |
मंदिर का ज्योतिषीय महत्व || Benefits of visiting Lord Jupiter Temple in Astrology
पाठकों ज्योतिष में ऐसा कहा गया है कि अगर आपके बाकी सारे ग्रह खराब हो लेकिन आपकी कुंडली में गुरु बहुत बलवान हो तो भी इस जीवन में आपकी नैया पार लग जाती है लेकिन अगर आपके बाकी ग्रह ठीक हो लेकिन गुरु ग्रह बहुत खराब हो तब भी आपको जीवन में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो इसलिए अब हम जानते हैं की ज्योतिष की दृष्टि से इस मंदिर का क्या महत्व है।
जिन लोगों को गोचर के अनुसार आठवां गुरु शुरू है जिस कारण उनके जीवन में रोजगार में शादी में बहुत सारी बाधाएं आ रही है उन लोगों को भी यहां जाकर पूजा करवानी चाहिए या दर्शन लेना चाहिए।
जिन लोगों की कुंडली में गुरु ग्रह खराब होता है और जिसके कारण उनके विवाह में बहुत ज्यादा विलंब हो रहा होता है उन लोगों को भी यहां बृहस्पतिवार के दिन आकर पूजा पाठ या मंत्र जाप करना चाहिए जिससे कि उन्हें देवगुरु की कृपा प्राप्त हो और उनकी शादी में आ रही अड़चन दूर हो जाए।
जिन लोगों की कुंडली में इस समय गुरु की महादशा या अंतर्दशा चल रही है और उन्हें जीवन में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है उन्हें भी यहां आकर देवगुरु बृहस्पति के दर्शन करना चाहिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
इस मंदिर के आदरणीय पुजारी से बात करने के बाद उन्होंने ऐसा बताया कि जो लोग भी हालात से बहुत ज्यादा परेशान है और यहां आकर जब वह पूजा करते हैं और अपनी मनोकामना देवगुरु बृहस्पति से कहते हैं तो बहुत ही कम समय में देवगुरु बृहस्पति उनकी मनोकामना पूरी कर देते हैं और उनकी परेशानियां दूर हो जाती है।
लेखन और संपादन
श्री भूपेश सावरकर(ज्योतिष और वास्तु शास्त्र सलाहकार, नागपूर)मो. 7387673978