श्राध्द की तिथि का चयन कैसे करें
एस्ट्रो आर्टिकल के सभी पाठकों को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार मैं आशा करता हूं कि इस कोरोना वायरस के काल में आप सभी ठीक-ठाक होंगे और भगवान से यही प्रार्थना करता हूं कि वह हम सबकी इस संकट की घड़ी में रक्षा करें। प्रिय पाठकों आज मैं एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर विस्तार से जानकारी देना चाहता हूं जिसमें अक्सर लोग गलती कर बैठते हैं।
हम सबको इस बात को बहुत अच्छे से जानते हैं कि हिंदू धर्म में अपने पितरों का श्राद्ध करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है श्राद्ध करना पैतृक कर्म का ही एक भाग माना गया है। दरअसल हम श्राद्ध करके हमारे पितरों के प्रति अपनी कृतज्ञता दर्शाते हैं आज हमारे पास जो कुछ भी है चाहे वह हमारा शरीर हो, धन, दौलत हो या जो कुछ भी हो वह हमें अपने माता पिता और अपने पितरों से ही मिला है।
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मैं आज आपको एक बहुत ही सरल तरीका बताने जा रहा हूं जिससे आप अपने माता-पिता या पितरों का वार्षिक श्राद्ध करने के लिए सही तिथि का निर्धारण बहुत ही आसानी से कर सकते हैं आइए इन सब बातों को एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं।
यहां पर मैं एक काल्पनिक व्यक्ति के माध्यम से आपको उदाहरण दे रहा हूं मान लीजिए एक व्यक्ति का नाम दीपक है अब समझ लीजिए की दीपक के पिता की मृत्यु 20 मार्च 2021 को दोपहर के 1:00 बजे हो गई अब प्रश्न यह उठता है कि जब हमें इनका वार्षिक श्राद्ध करना होगा तो हम तिथि कैसे निर्धारित करेंगे? मित्रों अक्सर लोग यह गलती करते हैं कि वह अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से वर्ष श्राद्ध की तिथि निर्धारित करते हैं जैसे कि इस उदाहरण में मृत्यु हुई है 20 मार्च 2021 को तो लोग यह समझ लेते हैं कि हम अगले वर्ष 20 मार्च या 19 मार्च 2022 को उनका वर्ष श्राद्ध कर सकते हैं।
इस तरह श्राद्ध की तिथि निकालना गलत है क्योंकि हिंदू धर्म में जो भी कार्य किए जाते हैं वह हिंदू पंचांग देख कर ही करना चाहिए। अब मैं बताता हूं कि इसका सही तरीका क्या है सबसे पहले हम यह देखेंगे कि जिस समय पर मृत्यु हुई है उस समय कौन सी तिथि विद्यमान थी और कौन सा महीना चल रहा था और उस समय शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष था। इस उदाहरण में 20 मार्च 2021 को दोपहर के 1:00 बजे फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि थी इसका मतलब आने वाले वर्षों में जो वर्ष श्राद्ध किया जाएगा उसकी तिथि हमेशा फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि ही मानी जाएगी फिर चाहे वह फरवरी के महीने में आए या मार्च के महीने में आए तिथि का चयन हमें पंचांग के अनुसार ही करना है ना कि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार।
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यहां पर मैं एक और महत्वपूर्ण बात बताने जा रहा हूं मान लीजिए आपने ऊपर बताई गए तरीके से तिथि का चयन कर लिया परंतु कई बार ऐसा होता है की एक ही दिन में दो तिथियां रहती है अब मान लीजिए के अगले वर्ष 6 फरवरी 2022 को दोपहर के 4:00 बजे तक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है और 4:00 बजे के बाद सप्तमी तिथि आरंभ हो रही है तो ऐसी परिस्थिति में हम वर्ष श्राद्ध कब करेंगे?
इसका उत्तर बहुत ही सरल है हमारे शास्त्रों में श्राद्ध करने का सही समय बताया गया है अपराह्न काल से लेकर मध्यान काल तक अगर मैं सरल भाषा में कहूं तो दोपहर के 12:00 बजे से लेकर दोपहर के 2:30 बजे तक का समय किसी भी श्राद्ध, तर्पण या पैतृक कार्य करने के लिए उपयुक्त होता है। इसका मतलब यह हुआ कि हम उस दिन का चयन करेंगे जब हमारी तिथि दोपहर 12:00 बजे से लेकर 2:30 बजे तक विद्यमान रहे ऊपर दिए गए उदाहरण के अनुसार 7 फरवरी 2022 को दोपहर 12:00 बजे से लेकर 2:30 बजे तक सप्तमी तिथि विद्यमान रहती है इसलिए हम 7 फरवरी के दिन दोपहर को वार्षिक श्राद्ध कर सकते हैं लेकिन एक बात याद रहे कि प्रत्येक वर्ष हमें इसी तरह पंचांग देखकर वार्षिक श्राद्ध का दिन निर्धारित करना होगा और पितृपक्ष में भी सप्तमी तिथि पर श्राद्ध करना होगा।
वार्षिक तिथि पर एकोद्दिष्ट श्राद्ध किया जाता है जिसका अर्थ होता है कि जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई हो सिर्फ उसके नाम से ही एक पिंड का दान किया जाता है। अगर किसी कारणवश आप वार्षिक तिथि पर श्राद्ध ना कर सके तो उसी महीने की अमावस्या तिथि को भी श्राद्ध किया जा सकता है। तो मित्रों अभी के लिए मैं इस आर्टिकल को यहीं समाप्त करता हूं आने वाले कुछ आर्टिकल्स में मैं बताऊंगा कि श्राद्ध में क्या करना चाहिए और हमारे शास्त्रों में श्राद्ध करने के कौन-कौन से सरल तरीके बताए गए हैं।
Very well explained, thank you for sharing this useful information.
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