षष्ठी देवी स्तोत्र और मंत्र
नमस्कार पाठकों जैसा कि आपने इस आर्टिकल के पहले भाग “षष्ठी देवी की महिमा” में उनकी व्रत कथा के बारे में जाना अब इस दूसरे भाग में हम षष्ठी देवी के स्तोत्र, मंत्र और पूजा विधि के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं कि जिन दंपतियों को संतान प्राप्ति में कठिनाई आ रही है उन्हें षष्ठी देवी का व्रत, मंत्र जाप और स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, साथ ही साथ मैं यह भी बताना चाहूंगा कि जो महिलाएं गर्भवती हैं उन्हें भी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए क्योंकि षष्ठी देवी ही गर्भ में पल रहे शिशु की रक्षा करती है तथा उसके जन्म के बाद भी वह उसकी रक्षा करती है।
विशेष: महाशिवरात्रि व्रत के बारे में जानने के लिए नीचे क्लिक करें:
महाशिवरात्रि व्रत
महाशिवरात्रि व्रत
माता षष्ठी / छठ मईया की पूजा हमें किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष याने अमावस्या के बाद पड़ने वाली छठी तिथि को करनी चाहिए अगर हम चैत्र या शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि को भी शुरुआत करते हैं तो भी यह बहुत अच्छा रहता है। छठ पूजा के दिन भी इस स्तोत्र का पाठ लाभदायक होता है।
षष्ठी देवी छायाचित्र
सबसे पहले माता षष्ठी की एक मूर्ति ले आएं अगर मूर्ति ना मिल सके तो चित्र ही ले आए अगर चित्र भी ना मिले तो मानसिक रूप से ही माता का ध्यान कीजिए कि मैं चंपा के फूलों से भी सफेद रंग रूप वाली, जगतजननी, उत्तम वर प्रदान करने वाली माता षष्ठी की सेवा कर रहा हूं।
इसके बाद माता को फूल, धूप, दीप, जल, फल और अर्घ्य प्रदान करें और उनके 8 अक्षर वाले महामंत्र का जितना हो सके उतना जाप करें। अधिक शक्ति ना होने पर कम से कम 108 बार जाप करें स्वयं ब्रह्मा जी ने इस मंत्र की महिमा के बारे में ऐसा कहा है कि जो भी इस मंत्र का एक लाख बार जाप कर लेता है उसे उत्तम संतान प्राप्त होती है।
मंत्र इस प्रकार है:-
ॐ ह्रीं षष्ठी देव्यै स्वाहा
स्तोत्र
नमो देव्यै महादेव्यै सिद्धयै शान्त्यै नमो नमः ।
शुभायै देवसेनायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥1॥
वरदायै पुत्रदायै धनदायै नमो नमः ।
सुखदायै मोक्षदायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥2॥
शक्तेः षष्ठांशरूपायै सिद्धायै च नमो नमः ।
मायायै सिद्धयोगिन्यै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥3॥
पारायै पारदायै च षष्ठीदेव्यै नमो नमः ।
सारायै सारदायै च पारायै सर्वकर्मणाम् ॥4॥
बालाधिष्ठातृदेव्यै च षष्ठीदेव्यै नमो नमः ।
कल्याणदायै कल्याण्यै फलदाय च कर्मणाम् ।
प्रत्यक्षायै च भक्तानां षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥5॥
पूज्यायै स्कन्दकान्तायै सर्वेषां सर्वकर्मसु ।
देवरक्षणकारिण्यै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥6॥
शुद्धसत्त्वस्वरुयायै वन्दितायै नृणां सदा ।
हिंसाक्रोधैर्वर्जितायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥7॥
धनं देहि प्रियां देहि पुत्रं देहि सुरेश्वरि ।
धर्मं देहि यशो देहि षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥8॥
भूमिं देहि प्रजां देहि देहि विद्यां सुपूजिते ।
कल्याणं च जयं देहि षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥9॥
इति देवीं च संस्तूय लेभे पुत्रं प्रियव्रतः ।
यशस्विनं च राजेन्द्रं षष्ठीदेवीप्रसादतः ॥10॥
षष्ठीस्तोत्रमिदं ब्रह्मन्यः शृणोति च वत्सरम् ।
अपुत्रो लभते पुत्रं वरं सुचिरजीविनम् ॥11॥
वर्षमेकं च या भक्त्या संयतेदं शृणोति च ।
सर्वपापाद्विनिर्मुक्ता महावन्ध्या प्रसूयते ॥12॥
वीरपुत्रं च गुणिनं विद्यावन्तं यशस्विनम् ।
सुचिरायुष्मन्तमेव षष्ठीमातृप्रसादतः ॥13॥
काकवन्ध्या च या नारी मृतापत्या च या भवेत् ।
वर्षं श्रुत्वा लभेत्पुत्रं षष्ठीदेवी प्रसादतः ॥14॥
रोगयुक्ते च बाले च पिता माता शृणोति च ।
मासं च मुच्यते बालः षष्ठीदेवीप्रसादतः ॥15॥
इति श्री ब्रह्मवैवर्तमहापुराणे प्रकृतिखण्डे
नारदनारायणसंवादे षष्ठीदेवी स्तोत्रं संपूर्णम॥16॥
जल्दी नतीजे मिलने के लिए इस स्तोत्र का नियमित 1 वर्ष तक हर रोज पाठ करें या कम से कम शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन मंत्र जाप और स्तोत्र का पाठ करें।
शुभायै देवसेनायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥1॥
वरदायै पुत्रदायै धनदायै नमो नमः ।
सुखदायै मोक्षदायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥2॥
शक्तेः षष्ठांशरूपायै सिद्धायै च नमो नमः ।
मायायै सिद्धयोगिन्यै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥3॥
पारायै पारदायै च षष्ठीदेव्यै नमो नमः ।
सारायै सारदायै च पारायै सर्वकर्मणाम् ॥4॥
बालाधिष्ठातृदेव्यै च षष्ठीदेव्यै नमो नमः ।
कल्याणदायै कल्याण्यै फलदाय च कर्मणाम् ।
प्रत्यक्षायै च भक्तानां षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥5॥
पूज्यायै स्कन्दकान्तायै सर्वेषां सर्वकर्मसु ।
देवरक्षणकारिण्यै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥6॥
शुद्धसत्त्वस्वरुयायै वन्दितायै नृणां सदा ।
हिंसाक्रोधैर्वर्जितायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥7॥
धनं देहि प्रियां देहि पुत्रं देहि सुरेश्वरि ।
धर्मं देहि यशो देहि षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥8॥
भूमिं देहि प्रजां देहि देहि विद्यां सुपूजिते ।
कल्याणं च जयं देहि षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥9॥
इति देवीं च संस्तूय लेभे पुत्रं प्रियव्रतः ।
यशस्विनं च राजेन्द्रं षष्ठीदेवीप्रसादतः ॥10॥
षष्ठीस्तोत्रमिदं ब्रह्मन्यः शृणोति च वत्सरम् ।
अपुत्रो लभते पुत्रं वरं सुचिरजीविनम् ॥11॥
वर्षमेकं च या भक्त्या संयतेदं शृणोति च ।
सर्वपापाद्विनिर्मुक्ता महावन्ध्या प्रसूयते ॥12॥
वीरपुत्रं च गुणिनं विद्यावन्तं यशस्विनम् ।
सुचिरायुष्मन्तमेव षष्ठीमातृप्रसादतः ॥13॥
काकवन्ध्या च या नारी मृतापत्या च या भवेत् ।
वर्षं श्रुत्वा लभेत्पुत्रं षष्ठीदेवी प्रसादतः ॥14॥
रोगयुक्ते च बाले च पिता माता शृणोति च ।
मासं च मुच्यते बालः षष्ठीदेवीप्रसादतः ॥15॥
इति श्री ब्रह्मवैवर्तमहापुराणे प्रकृतिखण्डे
नारदनारायणसंवादे षष्ठीदेवी स्तोत्रं संपूर्णम॥16॥
जल्दी नतीजे मिलने के लिए इस स्तोत्र का नियमित 1 वर्ष तक हर रोज पाठ करें या कम से कम शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन मंत्र जाप और स्तोत्र का पाठ करें।