संक्रांति का महत्व और पूजा विधि
सबसे पहले यह जानते हैं की संक्रांति का क्या अर्थ होता है। जब भी सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है उस प्रक्रिया को संक्रमण कहा जाता है और उस दिन को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस तरह वर्ष भर में कुल 12 संक्रांतियां होती है मतलब हर महीने में सूर्य एक राशि से निकल कर दूसरी राशि में जाता है और इन 12 संक्रांतियों का बहुत अधिक आध्यात्मिक महत्व है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे की हमें संक्रांति के दिन क्या करना चाहिए जिससे हमें अधिक से अधिक आध्यात्मिक एवं भौतिक लाभ हो।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य संक्रांति के दिन किया गया कोई भी अच्छा काम किसी भी और दिन की तुलना में 10 गुना अधिक पुण्य प्रदान करता है और खास कर मकर संक्रांति के दिन किया गया कोई भी अच्छा काम लाख गुना अधिक पुण्य प्रदान करता है ऐसा शिव पुराण में बताया गया है।
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गीता में भगवान श्री कृष्ण ने यह बताया है कि जिस व्यक्ति की मृत्यु शुक्ल पक्ष में सूर्योदय के पश्चात और सूर्य के उत्तरायण में रहते हुए होती है वह व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है और दोबारा उसका जन्म नहीं होता इसलिए उत्तरायण का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।
ऐसा भी कहा जाता है कि भीष्म पितामह बाणों की शैय्या पर लेट कर सूर्य के उत्तरायण में आने की प्रतीक्षा करते रहे और सूर्य के उत्तरायण में आने के पश्चात ही उन्होंने प्राणों का त्याग किया ताकि उन्हें मोक्ष मिल सके इस कारण भी मकर संक्रांति का महत्व बहुत है। वैसे तो सूर्य की संक्रांति हर महीने में ही होती है लेकिन ज्योतिष की दृष्टि से मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति का बहुत अधिक महत्व माना गया है मकर संक्रांति से उत्तरायण की शुरुआत होती है और कर्क संक्रांति से दक्षिणायन की शुरुआत होती है।
संक्रांति पूजा विधि और मंत्र
जो लोग मकर संक्रांति को व्रत करते हैं उन्हें संक्रांति के एक दिन पहले ही व्रत आरंभ करना चाहिए उस दिन उन्हें दिन में एक बार ही भोजन करना चाहिए। संक्रांति के दिन पानी में तिल मिलाकर नहाना चाहिए।
संक्रांति स्नान
संक्रांति के दिन हमें किसी भी तीर्थ स्थान में जाकर नदी में नहाना चाहिए और नहाने के बाद वहीं खड़े रहकर नदी के जल से सूर्य देवता को अर्घ्य देना चाहिए अगर तीर्थ स्थान में जाना संभव ना हो सके तो अपने गांव या शहर के आसपास की किसी नदी में जाकर ही स्नान कर लेना चाहिए और हर हर गंगे बोलते हुए अपने सर पर नदी के पानी को डालना चाहिए। अगर घर के आसपास कोई नदी ना हो तो घर में ही स्नान करना चाहिए और स्नान के पानी में तुलसी के पत्ते और काले तिल मिला लेना चाहिए।
पुराणों में ऐसा कहा गया है की नहाने के पानी में तुलसी के पत्ते और आंवला मिलने से वह पानी गंगा जल के समान पवित्र हो जाता है इसलिए अगर घर में गंगा जल ना हो तो अपने नहाने के पानी में तुलसी के पत्ते और आंवला भी डाल सकते हैं। एक और सरल उपाय भी कर सकते हैं की एक दिन पहले अपने घर के पूजा घर में शंख में जल भरकर रख दें और अगले दिन उसे अपने नहाने के पानी में डाल ले वह भी गंगा जल समान ही पवित्र होता है।
अष्टदल कमल की स्थापना
चंदन से जमीन पर कर्णिका सहित एक अष्टदल कमल ( जैसे नीचे चित्र में दिखाया गया है ) बनाकर उसमें भगवान सूर्य का आह्वान करना चाहिए। चित्र में दिए गए मंत्रों का बार-बार जप करना चाहिए और सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए।
सूर्य देव की पूजा कैसे करें
इसके बाद सूर्य देवता को कुमकुम से तिलक लगाए और फूल चढ़ाएं सूर्य देव को सभी फूलों में सबसे ज्यादा करवीर का फूल प्रिय है जिसे हम साधारण भाषा में कनेर का फूल कहते हैं । कनेर का फूल सूर्य को चढ़ाने पर व्यक्ति भगवान सूर्य का अनुचर हो जाता है और सौभाग्य प्राप्त करता है और संसार के सभी सुखों को प्राप्त करता है और अंत में स्वर्ग लोक में जाकर निवास करता है। इसी तरह सूर्य देवता को सफेद कमल का फूल और चमेली का फूल चढ़ाने से भी सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसा भी बताया गया है की 1000 सफेद कमल के फूल चढ़ाने से वह व्यक्ति को सूर्य लोक में रहने का फल प्राप्त होता है।
यदि आपने सूर्य देव की प्रतिमा बनाई है तो फिर उनका लेपन करना चाहिए उन्हें लेपों में सबसे अधिक रक्त चंदन द्वारा किया हुआ लेप प्रिय है जो भी व्यक्ति सूर्य भगवान के मंदिर का उपलेपन करता है वह सभी रोगों से मुक्त हो जाता है और उसे बहुत सारा धन प्राप्त होता है। शास्त्रों में ऐसा भी कहा गया है की जो व्यक्ति पूरे भक्ति भाव से गेरू द्वारा सूर्य मंदिर का लेपन करता है वह सभी रोगों से मुक्त हो जाता है तथा उसे धन संपत्ति प्राप्त होती है।
इसके बाद सूर्य देव के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए घी का दीपक जलाने से व्यक्ति को नेत्र से संबंधित रोगों से मुक्ति मिलती है या उसे नेत्र रोग होता ही नहीं अगर घी का दीपक जलाना संभव ना हो तो सूर्य देव के सामने तिल के तेल का दिया जलाना चाहिए शास्त्रों में ऐसा बताया गया है की तिल का तेल का दिया जलाने से व्यक्ति को सूर्य लोक की प्राप्ति होती है।
इसके बाद भगवान सूर्य के सामने धूप लगानी चाहिए धूपो में उन्हें विजय धूप बहुत अधिक प्रिय है और फिर उन्हें नैवेद्य अर्पण करना चाहिए सूर्य देव को नैवेद्य में मोदक बहुत अधिक प्रिय हैं और फिर पानी में थोड़ा सा चंदन मिलाकर उसमें फूल डालकर इस मंत्र को बोलते हुए तांबे के प्याले या कलश से भगवान सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें।
अर्घ्य मंत्र
विश्वाय विश्वरूपाय विश्वधाम्रे स्वयंभूवे।
नमोऽनंत नमो धात्रे ऋक्सामयजुषाम्पते।।
इसके बाद सूर्य के किन्हीं पंच मंत्रो का रुद्राक्ष की माला पर जाप करें अगर रुद्राक्ष की माला ना हो तो मानसिक रूप से भी जाप किया जा सकता है।
मंत्र
ॐ सूर्याय नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ भगाय नमः
ॐ विष्णवे नमः
ॐ मार्तंडाय नमः
ॐ सवित्रे नमः
ॐ उष्णाचीर्षे नमः
अगर संभव हो तो सूरज की रोशनी में 10 मिनट खड़े रहे और मन ही मन गायत्री मंत्र का 21 बार जप करें या फिर आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
तर्पण
सूर्य संक्रांति के दिन पितरों के लिए किया गया श्राद्ध एवं तर्पण भी बहुत अधिक फल प्रदान करता है इसलिए दोपहर 12:00 से 2:00 बजे के बीच इस दिन पितरों के लिए जल तर्पण या तिल तर्पण भी करना चाहिए। अगर तिल तर्पण करना संभावना हो तो जल तर्पण भी कर सकते हैं।
दान
इस तरह पूजा करने के बाद अपनी शक्ति अनुसार दान भी करना चाहिए। इस दिन अन्न दान करना बहुत अच्छा माना गया है कुछ लोग इस दिन काले तिल का भी दान करते हैं एक कांसे के बर्तन में तिल या घी भरकर उसके ऊपर सूर्य प्रतिमा रख कर भी दान किया जा सकता है और भारत के कुछ भागों में इस दिन काली उड़द से बनी खिचड़ी भी दान की जाती है।
FAQ's on Sankranti
Q1. संक्रांति किसे कहते हैं ?
A1. जिस समय सूर्य एक राशि से निकल कर श्री राशि में प्रवेश करता है उसे संक्रांति या सूर्य संक्रांति कहते हैं।
Q2. संक्रांति की पूजा कैसे करनी चाहिए ?
A2. संक्रांति के दिन नदी में स्थान करना सूर्य देवता को अर्घ देना उन्हें कुमकुम धूप दीप नैवेद्य देना चाहिए।
Q3. संक्रांति के दिन क्या उपवास करना चाहिए?
A3. संक्रांति के दिन, दिन में एक समय उपवास करना चाहिए और रात को उपवास छोड़ देना चाहिए।
Q4. एक साल में कितनी sankrantiyan होती है ?
A4. एक साल में 12 sankrantiyan होती हैं।
Q5. उत्तरायण की शुरुआत कब होती है ?
A5. मकर संक्रांति के दिन से उत्तरायण की शुरुआत होती है।
Q6 दक्षिणायन की शुरुआत कब होती है ?
A6. कर्क संक्रांति के दिन से दक्षिणायन की शुरुआत होती है?
Q7. Sankranti ke din पितरों के लिए क्या करें ?
A7. मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति के दिन पितरों के लिए श्राद्ध तर्पण और दान करना चाहिए।
Q8. Makar Sankranti 2024 कब है ?
A8. 15 जनवरी 2024 को।
Q9. संक्रांति पर कब पूजा करनी चाहिए?
A9. संक्रांति का पुण्य काल और संक्रांति का महापुण्यकाल पूजा के लिए बहुत अच्छा होता है।