मकर संक्रांति को किए जाने वाले महाउपाय
प्रिय पाठको जैसा कि आप मकर संक्रांति से जुड़े पिछले आर्टिकल में यह जान चुके हैं कि मकर संक्रांति के दिन किया गया कोई भी पूजा-पाठ लाखों गुना पुण्य प्रदान करता है। इसलिए इस आर्टिकल के माध्यम से हम यह जानेंगे कि इस दिन आपको कौन से खास उपाय करने चाहिए जिससे आपकी कुंडली में उपस्थित ग्रह दोषों से हो रही परेशानी से आपको राहत मिले।
गंगा स्नान
इस दिन सबसे पहला उपाय जो हमें करना चाहिए वह यह है कि हमें गंगा नदी में जाकर स्नान करना चाहिए। पुराणों में ऐसा कहा गया है की सूर्य संक्रांति के दिन गंगा जी में स्नान करने से करोड़ों जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं और उत्तरायण ( मकर संक्रांति ) तथा दक्षिणायन ( कर्क संक्रांति ) के दिन स्नान करने से इससे भी दस गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है।
इस दिन अगर गंगा जी में स्नान करना संभव ना हो तो किसी भी तीर्थ स्थान में जाकर स्नान करना चाहिए। अगर यह भी संभव ना हो तो घर में ही नहाते समय गंगा जी का आवाहन करके अपने नहाने के जल में कुछ तिल मिला ले जिससे वह जल गंगा जी के समान पवित्र हो जाएगा।
नोट : पुराणों में एक बहुत ही खास बात बताई गई है कि यदि हम अपने नहाने के जल में तुलसी के पत्ते और आंवले को डालें तो भी वह जल गंगा जी के सामान पवित्र हो जाता है। किसी किसी पुराण में यह भी बताया गया है की शंख में रखा हुआ जल गंगाजल के समान ही पवित्र होता है तो उसे भी नहाने के पानी में डाल सकते हैं।
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अर्घ्य
इसके बाद दूसरा महा उपाय जो हमें करना चाहिए वह यह है कि हमें इस दिन एक तांबे के बर्तन से भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए इसके लिए पहले एक तांबे का लोटा, कलश या प्याला वगैरा ले लें उसके पश्चात उसमें गंगाजल एवं काले तिल डालें और एक लाल फूल भी डाल दें अगर संभव हो तो उसमें रक्त चंदन या कुमकुम भी मिला ले और नीचे दिए गए मंत्र को बोलते हुए अर्घ्य प्रदान करें
मंत्र
ह्रां ह्रीं सः
जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में है या जिन लोगों की सूर्य की महादशा शुरू है और इस दौरान उन्हें कष्ट हो रहा है तो उन्हें यह उपाय अवश्य ही करना चाहिए इससे उन्हें लाभ होगा।
मंत्र जप
इस दिन का तीसरा महा उपाय मंत्र जाप है इस दिन किया हुआ कोई भी मंत्र जाप या भगवान सूर्य के मंत्रों का जाप आपको बहुत अधिक फल प्रदान करता है। नीचे भगवान सूर्य के सरल मंत्र दिए जा रहे हैं इस दिन किसी भी मंत्र का आप 108 बार जप कर सकते हैं
मंत्र
ॐ सूर्याय नमः।
ॐ आदित्याय नमः।
ॐ सवित्रे नमः।
ॐ भास्कराय नमः।
ॐ रवये नमः।
इस दिन पर गायत्री मंत्र का भी जप कर सकते हैं। वह करने से भी व्यक्ति को बहुत राहत मिलती हैं।
तर्पण
मकर संक्रांति का दिन अपने पितरों के लिए तर्पण करने के लिए बहुत ही अच्छा दिन माना गया है। इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा इस प्रकार है : राजा भगीरथ ने कई वर्षों तक तपस्या की और उनसे यह वरदान मांगा की मां गंगा का धरती पर आगमन हो।
उसका कारण यह था कि राजा भगीरथ के पितरों को मुक्ति प्राप्त नहीं हो रही थी और सिर्फ गंगा जी के जल से ही उनके पितरों को मुक्ति मिल सकती थी। इस कारण से उन्होंने कठोर तपस्या की थी अंत में उनकी तपस्या सफल हुई और गंगा जी का धरती पर आगमन हुआ।
गंगा जी के जल का स्पर्श होते ही उनके सभी पितरों को मुक्ति प्राप्त हुई कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा के जल का स्पर्श करने से बाकी दिनों की अपेक्षा 100 गुना अधिक फल प्राप्त होता है। इसलिए अपने पितरों की शांति के लिए हमें उनके लिए गंगा जी के जल से तर्पण या तील तर्पण करना चाहिए।
तिल का दान
शास्त्रों में तिल का दान भूमि दान से भी अधिक महत्वपूर्ण माना गया है इस दिन किया हुआ तिल का दान अक्षय पुण्य प्रदान करता है। इस दिन किसी योग्य व्यक्ति को तिल दान करने चाहिए और यदि ऐसा कोई नहीं हो तो मंदिर में जाकर तिल दान करना चाहिए।
तिल और गुड़ सेवन करने का महत्व
पूरे भारतवर्ष में यह प्रथा है कि मकर संक्रांति से लेकर रथ सप्तमी तक तिल और गुड़ से बने हुए लड्डू, बर्फी और अन्य मिठाइयों का सेवन किया जाता है और एक दूसरे को यह बांटा भी जाता है।
इस मौसम में तिल खाने का शरीर को बहुत लाभ होता है क्योंकि इस समय भारत वर्ष में ठंडी का मौसम रहता है और तिल स्वभाव से गर्म होता है तथा उसमें कैल्शियम की भी प्रचुर मात्रा में उपस्थिति रहती है।
इसके दो फायदे हैं एक तो ठंडी के समय यह शरीर में गर्मी बनाए रखता है और दूसरा हड्डियों के लिए कैल्शियम बहुत ही आवश्यक है। ठंड के दिनों में अक्सर हम धूप सेकतें हैं और शरीर में कैल्शियम ठहरने के लिए हमें विटामिन डी की आवश्यकता होती है। इस दौरान तिल के साथ हमारे शरीर में ना सिर्फ कैल्शियम जाता है बल्कि धूप सेकने के कारण हमें विटामिन डी मिलता है और हमारे शरीर में कैल्शियम ठहर जाता है।
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ
मकर संक्रांति के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। यह स्तोत्र आपको बल एवं साहस प्रदान करता है एवं शत्रु पर विजय दिलाता है। इस स्तोत्र के बारे में एक बात प्रचलित है कि रावण का वध करने से पहले भगवान राम ने आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किया था और इसे सिद्ध किया था और स्तोत्र को सिद्ध करने के लिए मकर संक्रांति का दिन सर्वोत्तम है।
खिचड़ी या खिचड़ी की सामग्री का दान
मकर संक्रांति के दिन भारत के कई भागों में खिचड़ी बनाकर खाने का रिवाज है और साथ ही खिचड़ी दान करने का भी रिवाज है। अगर खिचड़ी बनाना संभव ना हो तो किसी योग्य व्यक्ति को खिचड़ी की सामग्री भी दान की जा सकती है।
सरसों के तेल का दिया लगाना
प्रिय पाठकों ज्योतिष की दृष्टि सूर्य और शनि का संबंध पिता और पुत्र का संबंध है और दोनों का संबंध आपस में अच्छा नहीं माना जाता। मकर राशि के स्वामी शनि देव है और इस दिन मकर राशि में सूर्य का प्रवेश होता है। ऐसा कहा जाता है की पिता सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने आते हैं।
जो लोग साढ़ेसाती से परेशान है या जिन्हें रोजगार संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है या जो शनि की महादशा से गुजर रहे हैं या जिनकी कुंडली में शनि खराब स्थिति में है या नीच का शनि है उन्हें मकर संक्रांति के दिन सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ में सरसों के तेल का दीया जरूर लगाना चाहिए इससे शनि ग्रह से होने वाली पीड़ा में कमी आती है और भगवान शनि भी प्रसन्न हो जाते हैं।