श्री गजानन महाराज पादुका (जयपुर - मोताळा जि. बुलढाणा) || Gajanan Maharaj Paduka (Jaipur - Motala Buldhana dist.)
एस्ट्रो आर्टिकल के सभी पाठकों को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार आज मैं आपके लिए एक और रोचक आर्टिकल लेकर आया हूं मुझे यह आर्टिकल लिखने की प्रेरणा श्री गजानन महाराज शेगांव से मिली है, यूं तो इससे पहले भी कई बार मैं शेगांव जा चुका हूं लेकिन इस बार मेरी शेगांव यात्रा कई मायनों में बहुत ही खास थी इस बार सौभाग्य से श्री गजानन महाराज की पादुकाओं के दर्शन करने का अवसर प्राप्त हुआ, जो स्वयं उन्होंने पहनी थी और इस आर्टिकल को लिखने के लिए मुझे श्री दिनेशकुमार आनंदराव देशमुख जी से सभी जानकारी एवं साहित्य प्राप्त हुआ है जिसके लिए मैं उनका बहुत-बहुत आभारी हूं क्योंकि स्वास्थ्य ठीक ना होने के बाद भी उन्होंने मुझे बहुत समय दिया और पूरी जानकारी भी दी।
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श्री गजानन महाराज जी की प्राचीन पादुकाएँ |
श्री गजानन महाराज पादुका कहां पर है? || Where is Gajanan Maharaj Paduka located ?
तो अब जानते हैं की इस अति दुर्लभ गजानन महाराज की पादुका के पीछे क्या कहानी छिपी हुई है। बात सन 1907- 08 की है जब श्री गजानन महाराज शेगांव से 55 - 60 किलोमीटर की दूरी पर बसा एक छोटा सा गांव जयपुर (कोथळी) मोताळा तहसील जी. बुलढ़ाणा में कंबलनाथ मंदिर में दर्शन के लिए गए थे और और उन्होंने वहां के पाटिल श्री भवानराव देशमुख जी के यहां तीन दिन तक भजन कीर्तन किया था और उनके घर में ही रहे थे। देशमुख परिवार उस गांव का एक बहुत ही धन संपन्न और प्रतिष्ठित परिवार है और वहां से वापस जाते समय उन्होंने आशीर्वाद स्वरुप देशमुख जी को अपनी पादुकाएं दी थी। और यही पादुकाएं आज तीन पीढ़ी बाद भी श्री भवानराव जी के पोते श्री दिनेशकुमार आनंद राव देशमुख के परिवार में है जिसकी वह बड़ी ही श्रद्धा और भक्ति के साथ सेवा करते हैं और आज भी श्री गजानन महाराज की पवित्र पादुकाओं का दर्शन करने के लिए उनके घर पर भारी भीड़ जमा हो जाती है।
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श्री दिनेशकुमार देशमुख जी पता: "आनंद निवास" , राम मंदिर के पास, देशमुख वाडा, जयपुर ता. मोताळा . बुलढ़ाणा - 443103 फोन 07265 264505 मो. 9850490734, 9822521060 |
जयपुर गांव और उसके नाम को लेकर हुई गलतफहमी… || Confusion regarding the name of Jaipur village
दरअसल जो पादुकाएं श्री भवानराव देशमुख जी के परिवार में पिछले 115 सालों से है इसका जिक्र श्री गजानन महाराज विजय ग्रंथ में भी है लेकिन अक्सर लोगों को यह लगता है की जिस जयपुर का जिक्र उस ग्रंथ में किया गया है वह जयपुर राजस्थान में है जबकि यह जयपुर गांव बुलढाणा जिले की मोताळा तहसील में कोथळी के निकट है। विजय ग्रंथ में एक अध्याय में यह दिया गया है कि गजानन महाराज का मंदिर बनाते समय एक पत्थर का खंबा एक औरत के ऊपर गिर जाता है और उसे अस्पताल ले जाया जाता है और वहां पर एक क्रिश्चियन महिला डॉक्टर मिसेज लोबो उनका इलाज करने पर पाती हैं कि उसे महिला पर उस खंबे के गिरने का कोई भी असर या चोट का निशान नहीं है और वह महिला अपने दोनों बच्चों को लेकर जयपुर चली जाती है यह महिला और कोई नहीं श्री भवानराव देशमुख जी की पत्नी श्रीमती अंबाबाई देशमुख ही थी।
जयपुर गांव तक कैसे पहुंचा जा सकता है || How to reach Jaipur village bye train or car ?
रेलवेस्टेशन का नाम जयपुर से दूरी
मलकापुर 31 Km
नांदुरा 25 Km
शेगांव 50 Km
अकोला 100 Km
महामार्ग से जयपूर आने का रास्ता
नांदूरा से शेंबा होते हुए (27 Km)
मोताळा से वरुड होते हुए (9 km)
खामगांव पिंपळगाव राजा निपाणा उब्रा भंडारी गोशिंग (35 km)
मलकापूर शेलापुर ताखेड शेंबा (30 km)
गजानन महाराज का आशीर्वाद स्वरुप अपनी पादुकाएं देना और अपने भक्तों पर कृपा करना || Gajanan Maharaj showered blessings on his devotees by giving his Paduka
वास्तव में देखा जाए तो गजानन महाराज का जयपुर गांव में आना और वहां पर अपनी पादुकाओ का छोड़ जाना इसका श्रीमती अंबाबाई से बहुत ही गहरा नाता है असल में श्रीमती अंबाबाई हिवरखेड़ की रहने वाली थी और वह गजानन महाराज की असीम भक्त थी श्रीमती अंबाबाई श्री भवानराव देशमुख जी की पहली पत्नी थी उन्हें सिर्फ तीन पुत्रियां थी इसी कारण उनके पति ने दूसरा विवाह कर लिया था, इसलिए उन्होंने गजानन महाराज से मन्नत मांगी थी और अपने भक्त की इस फरियाद को गजानन महाराज नकार नहीं सकते थे इसलिए वे जयपुर गांव में आए और उनके घर में तीन दिन भजन कीर्तन किया और उन्हें अनाज का दान करने के लिए भी कहा और जाते समय उपहार स्वरूप वह पादुकाएं देशमुख दंपति को दे दी और उन्हें आशीर्वाद भी दिया कि उनकी मनोकामना जरूर पूरी होगी।
सन 1910 में श्री गजानन महाराज ने समाधि ले ली और उनकी समाधि लेने के 3 साल बाद यानी सन 1913 में श्री भवानराव देशमुख और उनकी पत्नी अंबाबाई को अपने पहले पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और उसे पाकर देशमुख दंपति को इतना आनंद हुआ कि उन्होंने अपनी पहली पुत्र संतान का नाम आनंदराव रख दिया और 6 महीने के बाद उनकी दूसरी पत्नी को एक और पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम उन्होंने लक्ष्मण राव रखा।
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वह पलंग जिसपर स्वयं गजानन महाराज जी ने 3 दिनों तक कीर्तन और विश्राम किया था |
पादुकाओं का प्रकाश में आना || Paduka came into Limelight
सन 2008 में जब श्री दास भार्गव द्वारा श्री गजानन महाराज चरित्र कोष लिखा गया उस समय पादुका और बाकी साहित्य के साथ श्री दिनेशकुमार देशमुख और जयपुर गांव के बारे में जानकारी उसके पेज नंबर 417 पर प्रकाशित हुई और उसके बाद लोगों को यह ज्ञात हुआ कि यह जयपुर राजस्थान का नहीं बल्कि शेगांव से 60 किलोमीटर दूर शेंबा फाटा के पास एक छोटा सा गांव है जिसकी लोगों को बहुत ही कम जानकारी है। उसके बाद जब इस बारे में लोगों को जानकारी हुई तब से लोग श्री दिनेशकुमार देशमुख जी के घर में नियमित रूप से इन पादुकाओं के दर्शन के लिए आते हैं और साल में एक बार देशमुख जी इन पादुकाओं को गांव से बाहर ले जाने के लिए उपलब्ध करवाते हैं। यह पादुकाऐं जयपुर गांव से निकलकर नागपुर और आसपास के गांव में या शहरों में भक्तों के अनुरोध पर दर्शन के लिए उपलब्ध होती है ।
- अकोला के गजानन महाराज गीत गायक श्री प्रदीप शर्मा जी पहली बार महाराज की पादुका जयपुर से बाहर लेकर गए।
- दर्शन के लिये पादुका नागपुर ले जाने का अनुरोध श्री गजानन महाराज के परम भक्त नगपुर निवासी श्री प्रफुलजी पडोळे इन्होंने किया था और हर साल पादुका दिसंबर महिने मे नागपुर मे दर्शन के लिये श्री प्रफुल पडोळे जी के माध्यम से भक्तो के लिये उपलब्ध कराई जाती है।
- रामनवमी के अवसर पर पादुकाएं शेगांव के श्री दास भार्गव जी की स्कूल में जाती है।
श्री दिनेशकुमार देशमुख और उनका परिवार तीन पीढियां से पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ इन पादुकाओं का पूजन करता है तथा उन्होंने इन पादुकाओं की स्थापना के लिए एक मंदिर भी बना रखा है जहां पर भाविक और श्रद्धालु जाकर इन पादुकाओं, ढोलक और पलंग जिस पर की गजानन महाराज ने विश्राम किया था, के दर्शन कर सकते हैं। और आप वहां पर अनुभव कर सकते हैं कि वहां आज भी श्री गजानन महाराज की पवित्र ऊर्जा विराजमान है जिसका अनुभव करके मन प्रसन्न हो जाता है।
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महाराज द्वारा बजाए गए ढोलक |
जयपुर गांव पर महाराज की कृपा दृष्टि || Maharaj blessed Jaipur village
श्री दिनेश कुमार जी से बात करने के बाद यह पता चला कि जिस वर्ष श्री गजानन महाराज इस गांव में पधारे थे उससे पहले इस गांव में भयंकर सूखा और अकाल पड़ा हुआ था और उनके यहां से जाने के बाद गांव में दोबारा बारिश आई और गांव फिर से खुशहाल हो गया। उन्होंने मुझे यह भी बताया कि गजानन महाराज एक टांगे में आए थे जिससे दो सफेद घोड़े बंधे हुए थे और वापस जाते हुए सिर्फ 2-3 किलोमीटर की दूरी तक ही टांगे पर महाराज जाते हुए दिखाई दिए और उसके बाद महाराज अचानक अदृश्य हो गए टांगे से जुड़ा कुछ सामान अभी भी गजानन महाराज जी के बाकी सामान के साथ भक्तगणों के दर्शन के लिए रखा हुआ है।
इसके अलावा शेगाव के आसपास ही श्री गजानन महाराज की और दो पादुकाएं भी हैं जो की मूंढगांव जि.आकोटऔर काचूर्णा गांव जि अमरावती में है।
कृपाभिलाषी || Word of thanks
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श्री भवानराव देशमुख जी के पौत्र श्री दिनेशकुमार जी देशमुख |
इस आर्टिकल को लिखने के लिए निम्नलिखित लोगों से जानकारियां प्राप्त हुई जिनका कि मैं बहुत-बहुत आभारी हूं उनके नाम इस प्रकार है :
श्री दिनेशकुमार आनंदराव देशमुख और उनका परिवार।
श्री दास भार्गव शेगांव, श्री गजानन महाराज चरित्रकोष।
श्री प्रदीप शर्मा अकोला ।
नागपुर निवासी श्री प्रफुलजी पडोळे।
श्री संदीप खडसे, नागपुर।
लेखन और संपादन
श्री भूपेश सावरकर(ज्योतिष और वास्तु शास्त्र सलाहकार, नागपूर)मो. 9371257665
पादुकाओं का ज्योतिषीय महत्व || Benefits of visiting Gajanan Maharaj Paduka in Astrology
जिन लोगों की कुंडली में गुरु नीच राशि में है उन लोगों को गुरु ग्रह की शांति के इन पादुकाओं के दर्शन करना चाहिए।
जिन लोगों को गोचर के अनुसार आठवां गुरु शुरू है जिस कारण उनके जीवन में रोजगार में शादी में बहुत सारी बाधाएं आ रही है उन लोगों को भी इन पादुकाओं के दर्शन लेना चाहिए।
जिन लोगों की कुंडली में गुरु ग्रह खराब होता है और जिसके कारण उनके विवाह में बहुत ज्यादा विलंब हो रहा होता है उन लोगों को भी यहां पादुकाओं के दर्शन लेना चाहिए जिससे कि उन्हें श्री गजानन महाराज की कृपा प्राप्त हो और उनकी शादी में आ रही अड़चन दूर हो जाए।
जिन लोगों की कुंडली में इस समय गुरु की महादशा या अंतर्दशा चल रही है और उन्हें जीवन में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है उन्हें भी यहां आकर पादुकाओं के दर्शन करना चाहिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
संतान सुख की इच्छा रखने वाले जिन लोगों को संतान सुख पाने में अगर कोई बाधा आ रही हो तो उन्हें भी गजानन महाराज की पादुकाओं का दर्शन करना चाहिए।
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महाराज का पलंग और उस पर विराजमान उनकी पादुका |
FAQ's about Gajanan Maharaj Paduka
Q1 जयपुर गांव शेगांव से कितनी दूरी पर है ?
A1 जयपुर गांव शेगांव से 55 से 60 किलोमीटर की दूरी पर है।
Q2 पादुकाओं के समक्ष किस मंत्र का जाप करना चाहिए ?
A2
मंत्र | mantra
।। गण गण गणात बोते।।
Q3 क्या जयपुर गांव के अलावा गजानन महाराज की पादुकाएं और भी कहीं है?
A3 जयपुर गांव के अलावा श्री गजानन महाराज की पादुकाएं मूंढगांव और काचूर्णा गांव में भी है।
Q4 श्री गजानन महाराज के पादुका कहां पर हैं?
A4 श्री गजानन महाराज की पादुका शेगांव से 55- 60 किलोमीटर दूर जयपुर गांव में स्थित है।
Q5. अगर आठवां गुरु चल रहा हो तो क्या उपाय करना चाहिए?
A5. गजानन महाराज की पादुकाओं का दर्शन और पूजन करना चाहिए।
Q6. गुरु की महादशा में कौन सा उपाय करें?
A6.अगर गुरु की महादशा चल रही है कुंडली में गुरु नीच का है या गुरु की अंतर्दशा चल रही है और बहुत कष्ट हो रहा हो तो गजानन महाराज की पादुकोओ का दर्शन और पूजा करनी चाहिए या ऊपर दिए गए मंत्र का जाप करना चाहिए।
Q7 गजानन महाराज की पादुकाएं कितनी पुरानी है ?
A7 गजानन महाराज की जयपुर स्थित पादुकाएं देशमुख परिवार में सन 1908 से है यानी यह काम से कम 115 साल पुरानी है।